यूग्लीना (Euglena) का वर्गीकरण (classification)
संघ - प्रोटोजोआ
उपसंघ - सार्कोमैस्टीगोफोरा
वर्ग - मैस्टीगोफोरा
उपवर्ग - फाइटोमैस्टीगोफोरा
गण - यूग्लिनाइडा
उपसंघ - सार्कोमैस्टीगोफोरा
वर्ग - मैस्टीगोफोरा
उपवर्ग - फाइटोमैस्टीगोफोरा
गण - यूग्लिनाइडा
क्या है यूग्लीना की परिभाषा (definition) :-
यूग्लीना एक एककोशिकीय प्रोटोजोआ संघ का प्राणी है। ये कार्बनिक पदार्थों वाले स्वच्छ स्थिर जल में पाए जाने वाले जीवधारी हैं। इनका शरीर तर्कु के समान होता है। इनमें कोशिका भित्ति की तरह प्रोटीन युक्त पेलिकल का आवरण होता है। जो इसकी शरीर रचना को लचीला बनाती है।
इनमें दो कसाभ होते हैं एक छोटा तथा दूसरा लंबा शरीर के अगले चौड़े सिर पर कोशिका मुख कोशिकाग्रसनी तथा रिजरवायर होते हैं। छोटे कसाभ रिजरवायर के अंदर रह जाता है। तथा बड़ा कसाभ प्रचलन में सहायता करता है। रिजरवायर पास एक कण्ट्रेक्टाइल वैक्यूल होता है।
सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में यह प्रकाश संश्लेषी होते हैं।सूर्य के प्रकाश के ना होने पर यह परपोषी की तरह सूक्ष्म जीव धारियों का शिकार करते हैं। इनमें पोषण वनस्पति सदृश तथा कभी-कभी मृतजीवी होता है। इनमें जनन अनुलम्ब विभाजन तथा पुटिभवन द्वारा होता है।
यूग्लीना के सामान्य लक्षण:-
1. हरा तर्कु रूपी औसतन 0.13 मिली मीटर लंबा शरीर होता है।पिछला छोर नुकीला अगला कुन्द सा होता है।2. एक कोशिकीय शरीर पर महीन दृढ़ व लचीली पेलिकल आवरण होता है।
3. कोशिका मुख से निकला एक लंबा, महीन, धागेनुमा, कसाभ गमनांग होता है।
4. कोशिका द्रव्य एक्टोप्लाज्म एवं एंडोप्लाज्म विभेदित होती है।
5. कसाभ द्वारा यूग्लीना जल में तैरता है। ठोस सतह पर यह शरीर की तरंग गति एँठनों, झुकावों द्वारा धीरे-धीरे रेंगता है।
6. हरे पादपों की भाँति युग्लीना स्वपोषी होता है, सूर्य के प्रकाश ना हो तो यह तरल खाद्यपदार्थ को शरीर सतह से विसरण द्वारा भी ग्रहण कर सकता है।
7. यूग्लीना कई उद्दीपनों से प्रभावित होकर प्रतिक्रिया करता है। प्रकाश उद्दीपनों के प्रति इसकी प्रतिक्रियाओं का संबंध स्वपोषी पोषण से होता है।
8. इसमें जनन अनुलंब द्विविभाजन द्वारा होता है।
9. सुरक्षा अथवा जनन के लिए परिकोष्ठन की क्षमता होती है।
10. अगले छोर पर कीपनुमा आकार की कोशिका मुख होती है। जो एक छोटी सी कोशिका ग्रसनी में खुलती है।
11. ग्रसनी एक बहुत बड़े से थैलीनुमा आकार के आशय में खुलती है।
12. इसके अंदर जितने भी कसाभ होते हैं, वे आशय की दीवार के ठीक नीचे स्थित होते हैं। जो एक सूक्ष्म आधारकाय अर्थात काइनेटोसोम से निकलते हैं।
13. एंडोप्लाज्म में, आशय के पास, स्थित एक कुंचन्शील रिक्तिका, तथा मध्य भाग में एक बड़ा केन्द्रक, कई बड़े या छोटे पर्णहरिम से युक्त हरे वर्णक काय एवम अनेक छोटे छोटे पैरामायलोन काय नाम के मण्ड संग्रह कण पाये जाते हैं।
14. इसमें उत्सर्जन तथा गैसीय विनिमय अमीबा की तरह साधारण प्रसरण के द्वारा पेलिकल के आर पार होता है। कुंचन्शील रिक्तिका के द्वारा परासरण का नियंत्रण होता है।
FAQs (यूग्लीना से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर)
प्रश्न 1 : यूग्लीना किस संघ का प्राणी है ?
उत्तर : प्रोटोजोआ
प्रश्न 2 : यूग्लीना कहां पाया जाता है ?
उत्तर : कार्बनिक पदार्थों वाले स्वच्छ स्थिर जल में
प्रश्न 3 : यूग्लीना का शरीर कितना लंबा होता है ?
उत्तर : 0.13 mm
प्रश्न 4 : यूग्लीना में पोषण कैसे होता है ?
उत्तर : यूग्लीना हरित लवक की उपस्थिति में अपना भोजन बनाता है।
प्रश्न 5 : यूग्लीना में जनन कैसे होता है ?
उत्तर : द्विखंडन, बहुखंडन और पुटिभवन द्वारा अलैंगिक जनन होता है।
प्रश्न 6: यूग्लीना में उत्सर्जन कैसे होता है ?
उत्तर : साधारण प्रसरण द्वारा
प्रश्न 7 : यूग्लीना में गमन कैसे होता है ?
उत्तर : कसाभिकाओं द्वारा
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