पैरामीशियम क्या है ? Paramecium in hindi- लक्षण, संरचना ,प्रचलन अंग, पोषण, श्वसन, उत्सर्जन

क्या है पैरामीशियम जाने हिन्दी में

  • पैरामीशियम एक सूक्ष्म एककोशिकीय प्रोटोजोआ संघ का प्राणी है।
  • यह तालाब, झील, नदी आदि के स्वच्छ पानी में पाया जाता है।
  • इसका आकार स्लीपर के समान होने के कारण इसे स्लीपर जन्तुक भी कहते हैं।
  • इसके दो सिरे पाये जाते हैं पहला सिरा कुंद जैसा होता है, तथा दूसरा सिरा नुकीला होता है।
  • इसके शरीर पर पैलिकल का आवरण पाया जाता है, जिस पर छोटे-छोटे सिलिया होते हैं, जिसकी सहायता से यह गति करता है।

पैरामीशियम (Paramecium) का वर्गीकरण (classification)

प्रॉटिस्टा जगत (protozoa kingdom)


संघ                    -         प्रोटोजोआ

उपसंघ               -          सिलियोफोरा

वर्ग                     -         सिलिएटा

उपवर्ग                -          होलोट्राइफा

गण                    -         जिम्नोस्टोमैटिडा 

पैरामीशियम क्या है ? Paramecium in hindi-  लक्षण, संरचना ,प्रचलन अंग, पोषण, श्वसन, उत्सर्जन

पैरामीशियम कहाँ पाया जाता है ?

यह नदी, झील, तालाब, पोखर, आदि के जल में पाया जाता है।

पैरामीशियम के सामान्य लक्षण:-
(1)पैरामीसियम का आकार मानव के तलुवे जैसा होता है, इसलिए इसे स्लिपर जन्तुक  भी कहते हैं । इसका शरीर बेलनाकार, औसतन 0.3 मिमी लम्बा,हल्के भूरे या पीले-से रंग का होता है।

(2) शरीर पर महीन एवं सुदृढ, परन्तु लचीली, पेलिकल का आवरण पाया जाता है। पेलिकल 10-14 हजार सूक्ष्म, षट्भुजीय क्षेत्रों में बँटी होती है। हर क्षेत्र के बीच से एक छोटा-सा महीन, धागेनुमा रोमाभ बाहर निकला होता है। रोमाभ के द्वारा यह गमन करता है , इनके द्वारा पैरामीशियम जल में तेजी से तैरता है।

(3) अधरतल पर एक तिरछी परिमुखीय खाँच होती है; जो पीछे एक चौड़े कीपनुमा प्रकोष्ठ में खुलती है। प्रकोष्ठ से चौड़ी-सी मुखाग्र-गुहा कोशिकाद्रव्य में फँसकर कोशिकामुख द्वारा नलिका-जैसी कोशिका ग्रसनी में खुलती है। यह सब पैरामीशियम का भोजन-अन्तर्ग्रहण उपकरण होता है।

(4) कोशिकाद्रव्य एक्टोप्लाज्म एवं एण्डोप्लाज्म में विभेदित होती है। एक्टोप्लाज्म में स्थित आधार कणिकाओं से रोमाभ निकलते हैं। 

(5) एण्डोप्लाज्म में अनेक रिक्तिकाएँ होती हैं, इसमें दो केन्द्रक तथा अन्य अंगक पाए जाते हैं।  एक अग्र तथा दुसरी पश्च सिरे के निकट कुंचनशील रिक्तिकाएं पायी जाती हैं, शेष खाद्य-धानियाँ होती हैं। केन्द्रकों में एक बड़ा गुरुकेन्द्रक, दूसरा छोटा व गोल लघुकेन्द्रक होता है।

(6) अमीबा की भाँति, पैरामीशियम पूर्णभोजी या जन्तुसमभोजी  होता है। भोजन जीवाणुओं, सूक्ष्म कार्बनिक भोजन कणों, आदि का अन्तर्ग्रहण करके अन्तर्ग्रहण खाद्य-धानियों में इन्हें पचाता है। पाचन के बाद प्रत्येक खाद्य-धानी का कोशिकागुद नामक एक निर्दिष्ट स्थान पर ही बहिष्कार होता है।

(7) पैरामीसियम में उत्सर्जन एवं गैसीय विनिमय  शरीर सतह से प्रसरण द्वारा होता है। परासरण नियन्त्रण कुंचनशील रिक्तिकाएँ करती हैं।

(8) अनेक बाह्य उद्दीपनों से प्रभावित होकर गमन में परिवर्तन की प्रतिक्रियाएँ होती हैं।

(9) पैरामीसियम में जनन कई विधियों द्वारा होता है, कुछ अलैंगिक, कुछ लैंगिक । उपयुक्त वातावरण में जनन क्षैतिज द्विविभाजन द्वारा होता है। अन्य विधियों में एण्डोमिक्सिस एवं हेमिक्सिस  नामक अलैंगिक तथा संयुग्मन, स्वयुग्मन एवं कोशिकायुग्मन नामक लैंगिक विधियाँ होती है।

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