प्रोटीन क्या है, protein in hindi, प्रोटीन की परिभाषा क्या है, संरचना, कार्य, प्रकार, वर्गीकरण, खोज सर्वप्रथम किसने की, ये कितने प्रकार के होते हैं। प्रोटीन की कमी से होने वाले रोग,एमीनो अम्ल,
प्रोटीन की खोज किसने की:-
जे बर्जीलियस तथा मूल्डर ने सबसे पहले प्रोटीन्स का नाम दिया था।
प्रोटीन क्या है, परिभाषा :
लिपिड्स तथा कार्बोहाइड्रेट की तरह प्रोटीन भी ऑक्सीजन तथा हाइड्रोजन एवं कार्बन के बने होते हैं, लेकिन इनमें 16% नाइट्रोजन तथा कुछ मात्रा में सल्फर तत्व पाए जाते हैं कुछ मैटालिक आयन्स भी होते हैं।
प्रोटीन के स्रोत शाकाहारी:-
प्रोटीन के स्रोत मांसाहारी :-
प्रोटीन के कार्य:-
- शारीरिक वृद्धि के लिए आवश्यक
- जैविक क्रियाओं के लिए आवश्यक
- हड्डियाँ, मांसपेशियां, त्वचा एवं रक्त के विकास के लिए आवश्यक
- प्रतिजैविक (एंटीबाडीज) का निर्माण
- शारीर की आधारभूत संरचना
- शारीर की जैवरासायनिक क्रियाओं का संचालन
प्रोटीन की कमी से होने वाले रोग:-
क्वाशियोरकर - इस रोग में बच्चों का पेट बाहर की तरफ निकल जाता है। और हाथ पैर दुबले पतलेे हो जाते हैंं।
मरास्मस - इस रोग में बच्चों की मांसपेशियां ढीली हो जाती हैं।
प्रतिरोधक क्षमता की कमी हो जाती है I
प्रोटीन का रासायनिक संयोजन:-
एमीनो अम्ल
पृथ्वी के पदार्थों में लगभग 300 प्रकार के अमीनो अम्ल पाए जाते हैं। लेकिन इनमें से केवल 20 प्रकार के अमीनो एसिड प्रोटीन संश्लेषण में भाग लेते हैं, सब जीवो में 20 प्रकार के amino acid भाग लेते हैं, 10 स्तनीय भोजन से ही प्राप्त हो सकते हैं।
एमीनो अम्ल की प्रकृति
एमिनो एसिड मीठे तथा रंगहीन होते हैं। जल में घुलनशील यौगिक होते हैं। इनके अणु कार्बन, हाइड्रोजन ऑक्सीजन के बने होते हैं, कुछ मात्रा में सल्फर पाया जाता है।
एमीनो अम्ल का आयनन
एमिनो एसिड का समूह क्षारीय प्रकृति का होता है, क्योंकि यह आसानी से प्रोटोन (H+)को ग्रहण कर लेता है लेकिन कार्बोक्सलिक समूह अम्लीय प्रकृति का होता है, क्योंकि यह सुगमता पूर्वक प्रोटॉन का त्याग क्या कर सकता है।
प्रोटीन का वर्गीकरण
त्रिविम आकृति अर्थात प्राकृत अनुरूप के आधार पर प्रोटीन की दो श्रेणियां होती हैं-
तन्तुवत प्रोटीन
गोलाकार प्रोटीन
तंतुवत प्रोटीन्स
ये ऊतकों तथा कोशिकाओं में पाए जाने वाले तन्तुवत प्रोटीन होते हैं। इसके अणुओं में लंबाई तथा चौड़ाई की माप 10:1 से अधिक होती है। ये संरचना में सरल एवं द्वितीयक स्तर के प्रोटीन होते हैं।ये जल में अघुलनशील मुख्यतः संरचनात्मक होती है। यह शरीर के कुल भार का आधा होती है।
यह प्रोटीन चार प्रकार की होती है -
अल्फा किरैटिन्स
बीटा किरैटिन्स
कॉलेजन
इलास्टिन
गोलाकार प्रोटींस
ज्यादातर प्रोटींस के अणुओं की प्राकृतिक संरचना तृतीय एवं चतुर्थ स्तर के संरचना के कारण कठिन एवं गोलाकार होती है। इनकी लंबाई और चौड़ाई का अनुपात 3:1 या 4:1 होता है। प्रोलैमींस दालों में इतनी संघनित होती है,शाकाहारी मनुष्यों के लिए प्रोटीन का मुख्य स्रोत का काम करती है
रासायनिक संयोजन के आधार पर प्रोटीन का वर्गीकरण
इस आधार पर प्रोटींस को तीन श्रेणियों में बांटा गया है
सरल प्रोटीन
संयुक्त प्रोटीन
व्युत्पन्न प्रोटीन
सरल या विशुद्ध प्रोटीन
क्रियात्मक तथा संरचनात्मक प्रोटीन के संयोजन में केवल अमीनो अम्ल की केवल एकलकी इकाइयाँ भाग लेती हैं। इसलिए इनको सरल प्रोटीन कहा जाता है। जैसे- प्रोलेमिन्स,हिस्टोन्स, ग्लोबुलिंस, एल्बुमिन्स, आदि।
संयुक्त या अनुबध्द प्रोटीन
अनेक प्रकार के प्रोटीन के संयोजन में एमिनो अम्ल के अतिरिक्त कोई अन्य एमिनो अम्ल घटक पाया जाता है, ऐसे संयुक्त प्रोटीन तथा गैर एमिनो अम्ल घटकों को प्राय प्रोस्थेटिक समूह कहते हैं। ये 8 प्रकार के होते हैं।
व्युत्पन्न प्रोटीन
जल अपघटन द्वारा पाचन में प्रोटींस की पॉलिपेप्टाइड्स छोटे-छोटे टुकड़ों में टूटकर विभाजित हो जाती है। सबसे बड़े तथा सबसे छोटे टुकड़ों को प्रोटिओजेज पेप्टोन्स तथा छोटे पॉलिपेप्टाइड कहते हैं। यह व्युत्पन्न प्रोटींस कहलाते हैं।
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